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नई दिल्ली: भारत सरकार चीन में बने सर्विलांस उपकरणों पर पाबंदी लगाने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही, सरकार देश के सर्विलांस बाजार में स्थानीय वेंडर्स को प्राथमिकता देने की योजना बना रही है। इसके लिए जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी की जाएंगी। यह कदम चीन के जासूसी उपकरणों (Chinese spy gadgets) के संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए उठाया जा रहा है।

अमेरिका ने भी लगाया प्रतिबंध:
अमेरिका ने हाल ही में चीन से आने वाले कार के पार्ट्स और सॉफ्टवेयर पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह कदम लेबनान में हुए पेजर विस्फोट (Lebanon Pager Explosions) के बाद उठाया गया है, जिससे यह आशंका बढ़ गई थी कि चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है।

नई सीसीटीवी पॉलिसी:
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 8 अक्टूबर से नई सीसीटीवी पॉलिसी (new CCTV rules) लागू हो सकती है। इससे भारतीय सर्विलांस कंपनियों को फायदा होगा और चीन की कंपनियों को धीरे-धीरे हटाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार का फोकस ऐसे उत्पादों पर होगा जो भरोसेमंद स्रोतों से आएं। इसका मतलब है कि जहां की मैन्युफैक्चरिंग चेन पर पूरी नजर हो और जहां से डेटा लीक या हैकिंग का खतरा न हो।

भारत के सीसीटीवी बाजार में तीन बड़ी कंपनियों की 60% हिस्सेदारी है। इसमें सीपी प्लस एक भारतीय कंपनी है, जबकि हिकविजन (Hikvision) और दहुआ (Dahua) चीनी कंपनियां हैं। अमेरिका ने नवंबर 2022 में इन दोनों चीनी कंपनियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर प्रतिबंध लगा दिया था।

पश्चिमी देशों में भी चिंता:
पश्चिमी देशों में भी इस बात को लेकर डर बढ़ रहा है कि क्या चीनी निर्मित कारों का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है। आधुनिक कारें, जिनमें अत्याधुनिक सेंसर और जीपीएस सिस्टम लगे होते हैं, बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र करती हैं, जिससे ये सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए संभावित निगरानी उपकरण बन जाती हैं। BYD, Geely और NIO जैसी चीनी कंपनियों की कारों को लेकर यह आशंका है कि वे डेटा का दुरुपयोग कर सकती हैं।

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