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देहरादून। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए सौर ऊर्जा को सबसे उपयुक्त विकल्प बताया। कार्यशाला के दौरान सौर ऊर्जा से जुड़ी मौजूदा चुनौतियों और इसके समाधान पर विचार-विमर्श किया गया।

पांच दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक दीपक गुप्ता ने किया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को सौर ऊर्जा से जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की खपत कम की जा सकती है। इसके लिए तकनीकी विकास, कुशल कार्यबल, और सटीक नीतियों का क्रियान्वयन आवश्यक है। साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सौर ऊर्जा जैसी स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने पर बल दिया। दीपक गुप्ता ने रूफटॉप सोलर योजना और एग्रोप्लांट्स की संभावनाओं पर भी चर्चा की।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. मोहम्मद रिहान ने छात्र-छात्राओं से अपील की कि वे बिजली की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह ने कहा कि सौर ऊर्जा देश में ऊर्जा की समस्या के समाधान के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, वायु और जल प्रदूषण को भी कम करने में सहायक है। उन्होंने सोलर पैनल्स लगाने, उनकी देखरेख और सौर ऊर्जा नीतियों के कार्यान्वयन में विशेषज्ञों के शोधकार्य की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यशाला में एक स्मारिका का विमोचन किया गया और ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत छात्र-छात्राओं को सौर ऊर्जा उद्योग पर आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। कार्यशाला का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर क्लीन एनर्जी और स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया, और जीआईजेड, नई दिल्ली के सहयोग से किया।

कार्यशाला में डॉ. बी. एस. नेगी, प्रो. प्रदीप कुमार शर्मा, विभिन्न विभागों के प्रमुख, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, नीति निर्माता, शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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