Headline
जिलाधिकारी ने डीग गेट स्थित आंबेडकर पार्क में स्थापित डॉ0 भीमराव आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की
राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 207 करोड़ से अधिक की योजनाओं को दी मंजूरी
मथुरा रिफाइनरी ने किया संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर को नमन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एम्स ऋषिकेश के पांचवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की
इंजीनियरिंग में भी बढे महिलाओं की भागीदारी – रेखा आर्या
श्मशान घरों की अंत्येष्टि के इंतजार में ग्राम प्रधान
आईपीएल 2025- कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के बीच मुकाबला आज
अलग- अलग निजी अस्पतालों में 15 मरीजों में डेंगू वायरस की पुष्टि 
मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी नड्डा का जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर किया स्वागत

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को अपनी कैबिनेट के एक अहम फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में अब रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक स्थलों पर गोमांस (बीफ) परोसने और खाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। दिल्ली में आयोजित असम सरकार की कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें कई मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।

गोहत्या रोकने के लिए नया कदम
सीएम हिमंत शर्मा ने कहा, “तीन साल पहले हमने असम में गोहत्या रोकने के लिए कानून लागू किया था, जिससे काफी सफलता मिली। अब हमने तय किया है कि बीफ को रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक स्थलों पर परोसने पर भी रोक लगाई जाएगी। यह फैसला गोमांस सेवन पर मौजूदा कानून में संशोधन कर नए प्रावधान जोड़कर लिया गया है।”

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पहले मंदिरों और धार्मिक स्थलों के पास गोमांस खाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। अब इसे पूरे राज्य में लागू किया गया है, जिससे किसी भी सामुदायिक या सार्वजनिक स्थान पर बीफ का सेवन और परोसने की अनुमति नहीं होगी।

कैबिनेट के फैसले पर मचा हंगामा
असम सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। एआईयूडीएफ पार्टी के महासचिव और विधायक डॉ. हाफिज रफीकुल इस्लाम ने कहा, “कैबिनेट को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि लोग क्या खाएंगे या पहनेंगे। भाजपा अन्य राज्यों में बीफ पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती, फिर असम में इसे लागू करने की कोशिश क्यों हो रही है?”

वहीं, असम सरकार के मंत्री पीजूष हजारिका ने इस आलोचना का जवाब देते हुए कहा, “मैं असम कांग्रेस को चुनौती देता हूं कि वे इस फैसले का समर्थन करें, या पाकिस्तान जाकर बस जाएं।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज
बीफ पर प्रतिबंध लगाने के इस फैसले से राज्य में कई समुदायों और राजनीतिक दलों के बीच बहस छिड़ गई है। जहां कुछ इसे सकारात्मक कदम मानते हैं, वहीं कई लोग इसे व्यक्तिगत आजादी में हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं।

असम सरकार ने इस प्रतिबंध के जरिए राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र और धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने का उद्देश्य बताया है। अब देखना यह होगा कि इस फैसले का राज्य के विभिन्न वर्गों और समुदायों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

(इनपुट: एजेंसी)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top