Headline
एसजीआरआर आईएमएण्डएचएस में एथलीटिका-2024 का रंगारंग आगाज
डीएम देहरादून की अधिकारियों को सख्त हिदायत, कार्यों में लापरवाही पर सम्बन्धितों की होगी जिम्मेदारी
पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने की 04 घोषणाएं।
मुख्यमंत्री धामी ने वर्चुअल माध्यम से लालकुआं-बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना।
मुख्यमंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष के बीच राज्य से जुड़े विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित सरस मेला-2024 का किया शुभारंभ।
विश्व धरोहर फूलों की घाटी 31 अक्तूबर को पर्यटकों के लिए कर दी जाएगी बंद , घाटी में अब तक पहुचें 19,425 पर्यटक
यूपीसीएल के अस्सी प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता कर रहे डिजिटल भुगतान
सीएम धामी को उत्तराखण्ड महोत्सव के लिए किया आमंत्रित

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने उनको आठवां समन भेजा है और चार मार्च को पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा है। केजरीवाल इससे पहले सात बार के समन की अनदेखी कर चुके हैं। उन्होंने और उनकी पार्टी ने ईडी के समन को गैरकानूनी बताया है और कई सवाल पूछे हैं। लेकिन सवालों के जवाब देने की बजाय ईडी लगातार समन भेजती जा रही है। ऐसा लग रहा कि यह सब किसी योजना के तहत हो रहा है। पांचवें समन के बाद केजरीवाल इस आधार पर ईडी के समन का विरोध कर रहे हैं कि जब खुद ईडी ने पीएमएलए की विशेष अदालत में शिकायत की है और अदालत में 16 मार्च को इस पर सुनवाई होने वाली है तो उससे पहले समन जारी नहीं होना चाहिए।

दूसरी ओर ईडी का कहना है कि पीएमएलए कोर्ट में उसकी शिकायत पर जो सुनवाई है वह बिल्कुल दूसरे मामले पर है। ईडी ने अदालत में यह याचिका नहीं दी है कि अदालत केजरीवाल को निर्देश दे कि वे ईडी के सामने पेश हों। अदालत में केंद्रीय एजेंसी के समन की अनदेखी से जुड़े बड़े सवालों पर सुनवाई होगी। एजेंसी ने कहा है कि जब मुख्यमंत्री जैसे ऊंचे पद पर बैठे लोग समन की अनदेखी करते हैं तो उसका गलत मैसेज जाता है। ईडी ने यह भी कहा कि केजरीवाल एजेंसी की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और उसमें बाधा डाल रहे हैं।
दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में तो 16 मार्च को सुनवाई होगी लेकिन उससे पहले इन सवालों पर सर्वोच्च अदालत ने ही स्थिति साफ कर दी है। इसलिए विशेष अदालत से कोई राहत हासिल करने की केजरीवाल की उम्मीदें समाप्त हो गई हैं। असल में बिल्कुल ऐसे ही मामले में तमिलनाडु की सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। केंद्रीय एजेंसियों ने बालू के अवैध खनन से जुड़े मामलों में तमिलनाडु के कुछ जिला कलेक्टरों को समन भेजा था और पूछताछ के लिए बुलाया था। तमिलनाडु सरकार ने इसे चुनौती दी थी।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार यानी 27 फरवरी को इस पर सुनवाई में दो टूक अंदाज में कहा कि एजेंसियों के समन पर सबको हाजिर होना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि, जिसको एजेंसी समन देकर बुलाए वह एजेंसी के सामने हाजिर हो।
जाहिर है कि तमिलनाडु के कलेक्टरों के बारे में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी लागू होगा। उन्हें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले का भी ध्यान रखना चाहिए था, जिसमें 10वें समन के बाद उनको गिरफ्तार किया गया था। उनके मामले में भी अदालत से कोई राहत नहीं मिली थी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केजरीवाल के लिए कानूनी राहत का रास्ता लगभग बंद हो गया है। तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि चार मार्च को वे ईडी के सामने पूछताछ के लिए हाजिर होते हैं या नहीं?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top