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नई दिल्ली – कमर्शियल व्हीकल चालकों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (6 नवंबर) को आदेश दिया कि जिन लोगों के पास लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस है, वे अब 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले वाहनों का संचालन कर सकेंगे। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से सुनाया है।

यह मामला बीमा कंपनियों के दावों से जुड़ा हुआ है, जिनमें पहले एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारकों द्वारा चलाए जा रहे ट्रांसपोर्ट वाहनों से जुड़े मुआवजे के दावों में विवाद होता था। बीमा कंपनियां यह तर्क देती थीं कि विशेष वजन के वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं के लिए एलएमवी लाइसेंस धारक अधिकृत नहीं थे। अब इस फैसले के बाद, एलएमवी लाइसेंस धारकों को 7,500 किलोग्राम वजन के भीतर के वाहन चलाने की अनुमति दी गई है, जिससे बीमा कंपनियों के लिए दावों के मामलों में चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

‘एलएमवी लाइसेंस धारक दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं’
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने कहा कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए एलएमवी लाइसेंस धारकों को जिम्मेदार ठहराने वाले कोई भी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एलएमवी लाइसेंस धारक न्यायालय से अपनी शिकायतों का निवारण चाहते हैं, और उनकी बात को केवल तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।

बीमा कंपनियों का आरोप
बीमा कंपनियां अक्सर एलएमवी लाइसेंस धारकों द्वारा चलाए जा रहे वाहनों की दुर्घटनाओं से जुड़े दावों पर आपत्ति जताती थीं। उनका कहना था कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) और अदालतें उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर बीमा दावों का भुगतान करने का आदेश देती हैं।

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