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नई दिल्ली: कर्नाटक के मांड्या जिले के हनाकेरे गांव में रविवार को दलितों के मंदिर में प्रवेश के बाद एक विवाद उत्पन्न हो गया, जब कुछ ग्रामीण भगवान की मूर्ति को मंदिर से उठा ले गए। यह घटना बेंगलुरु से 100 किलोमीटर दूर स्थित है, और इसके बाद गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है।

लंबी चर्चा के बाद मिला था मंदिर में प्रवेश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दलितों को कालभैरवेश्वर स्वामी मंदिर में प्रवेश की अनुमति काफी चर्चा और प्रयास के बाद दी गई थी। मंदिर राज्य के बंदोबस्ती विभाग के प्रबंधन में आता है। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य लंबे समय से चले आ रहे सामाजिक बहिष्कार को समाप्त करना था। मंदिर में दलितों के प्रवेश का विरोध करने वाले स्थानीय उच्च जाति के लोग बताए जा रहे हैं।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
दलितों के प्रवेश का विरोध कर रहे ग्रामीणों के एक समूह ने मंदिर की उत्सव मूर्ति, जो विशेष आयोजनों पर जुलूस में ले जाई जाती है, को मंदिर परिसर के भीतर एक सुरक्षित स्थान पर ले गए। कुछ समय के लिए मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए और एक ग्रामीण ने कहा कि “मंदिर आप रखें, मूर्ति हम ले जाएंगे।”

हालांकि, थोड़ी देर बाद मंदिर के दरवाजे फिर से खोल दिए गए और सभी जातियों के भक्तों के लिए अनुष्ठान पुनः शुरू हो गए। तनाव को देखते हुए गांव में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस तैनात की गई है।

‘दलितों के लिए अलग मंदिर’ का दावा
कुछ ग्रामीणों ने यह दावा करते हुए विरोध किया कि परंपराओं के अनुसार गांव में दलितों के लिए एक अलग मंदिर पहले से ही मौजूद है। ग्रामीणों ने मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं और पूर्व कांग्रेस विधायक एम श्रीनिवास द्वारा जीर्णोद्धार में दिए गए आर्थिक सहयोग का हवाला देते हुए इस कदम का विरोध किया। मंदिर के इसी जीर्णोद्धार के कारण इसे राज्य सरकार के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के अधीन किया गया है।

गांव में घटना के बाद सामाजिक तनाव को कम करने और स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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