Headline
जिलाधिकारी ने डीग गेट स्थित आंबेडकर पार्क में स्थापित डॉ0 भीमराव आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की
राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 207 करोड़ से अधिक की योजनाओं को दी मंजूरी
मथुरा रिफाइनरी ने किया संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर को नमन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एम्स ऋषिकेश के पांचवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की
इंजीनियरिंग में भी बढे महिलाओं की भागीदारी – रेखा आर्या
श्मशान घरों की अंत्येष्टि के इंतजार में ग्राम प्रधान
आईपीएल 2025- कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के बीच मुकाबला आज
अलग- अलग निजी अस्पतालों में 15 मरीजों में डेंगू वायरस की पुष्टि 
मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी नड्डा का जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर किया स्वागत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को निजी संपत्तियों पर सरकारी अधिकार को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 8-1 के बहुमत से यह निर्णय लिया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी निजी संपत्तियों को सामुदायिक संसाधनों के रूप में नहीं देखा जा सकता, जिन्हें राज्य सरकार आम भलाई के लिए अपने कब्जे में ले सके।

हर निजी संपत्ति पर सरकारी अधिकार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत सभी निजी संपत्तियों को ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों’ का हिस्सा नहीं माना जा सकता और न ही राज्य उन्हें ‘सार्वजनिक भलाई’ के नाम पर अपने अधिकार में ले सकता है। कोर्ट ने 1978 से संबंधित कई पुराने फैसलों को पलटते हुए कहा कि केवल कुछ संपत्तियां ही सामुदायिक भलाई के लिए उपयुक्त हो सकती हैं, लेकिन सभी संपत्तियों पर सरकारी अधिकार नहीं बनता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top