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मुख्यमंत्री धामी ने वर्चुअल माध्यम से लालकुआं-बांद्रा सुपरफास्ट ट्रेन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित सरस मेला-2024 का किया शुभारंभ।
विश्व धरोहर फूलों की घाटी 31 अक्तूबर को पर्यटकों के लिए कर दी जाएगी बंद , घाटी में अब तक पहुचें 19,425 पर्यटक
यूपीसीएल के अस्सी प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता कर रहे डिजिटल भुगतान
सीएम धामी को उत्तराखण्ड महोत्सव के लिए किया आमंत्रित

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव पर नजर रखने के लिए पश्चिम बंगाल समेत 6 राज्यों में दो तरह के पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है-विशेष पर्यवेक्षक और पुलिस पर्यवेक्षक। आयोग ने मंगलवार को सर्कुलर प्रकाशित कर इसकी घोषणा की। पश्चिम बंगाल के अलावा, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हुई है। ज्ञात हो कि आयोग ने सेवानिवृत्त आईपीएस अनिलकुमार शर्मा को बंगाल में लोकसभा चुनाव के लिए विशेष पुलिस पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। आयोग आमतौर पर चुनावों के दौरान राज्यों में विशेष पुलिस पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। वह 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान एक विशेष पुलिस पर्यवेक्षक थे। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के एक वर्ग का मानना है कि इस पूर्व आईपीएस के अनुभव को देखते हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी दी गई है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही केंद्रीय चुनाव आयोग बंगाल के विभिन्न जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति, गिरफ्तारी या धन बरामदगी के बारे में जानकारी एकत्र कर रहा है। विशेष पुलिस पर्यवेक्षक का मुख्य कार्य इसका विश्लेषण कर आवश्यक कदमों की सिफारिश करना है। इसके अलावा सेवानिवृत्त आईएएस आलोक सिन्हा को विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। निर्वाचन आयोग का कहना है कि विशेष पर्यवेक्षकों (सामान्य और पुलिस) को पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में तैनात किया गया है जहां की आबादी सात करोड़ से अधिक है। इनकी तैनाती आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भी की गई जहां लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव भी होना है।

उसने कहा कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में विशेष व्यय पर्यवेक्षक भी तैनात किए गए हैं।. सामान्य, व्यय और पुलिस पर्यवेक्षकों के अलावा निर्वाचन आयोग चुनावी राज्यों में विशेष पर्यवेक्षकों को तैनात कर रहा है।
विशेष पर्यवेक्षक राज्य मुख्यालय में तैनात रहेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो उन क्षेत्रों का दौरा करेंगे जो अधिक संवेदनशील हैं और जहां आवश्यक समन्वय की आवश्यकता है। विशेष पर्यवेक्षक दूसरे के काम में हस्तक्षेप किए बिना, जहां भी आवश्यक हो, संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों, विधानसभा सीटों या जिलों में तैनात पर्यवेक्षकों से समय-समय पर अपेक्षित जानकारी मांग सकते हैं। उन्हें निगरानी गतिविधियों में शामिल विभिन्न एजेंसियों के क्षेत्रीय प्रमुखों और नोडल अधिकारियों के साथ सूचना मांगने और समन्वय करने का भी आदेश दिया गया है।

सेवानिवृत्त आईएएस मंजीत सिंह को बिहार में सामान्य विशेष पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया गया है, वहीं पूर्व आईपीएस विवेक दुबे को राज्य में पुलिस विशेष पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया गया है। महाराष्ट्र में, सेवानिवृत्त आईएएस धर्मेंद्र एस गंगवार को सामान्य विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया है, जबकि पूर्व आईपीएस एनके मिश्रा को पुलिस विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया है। उत्तर प्रदेश में, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अजय वी नायक सामान्य विशेष पर्यवेक्षक हैं और पूर्व आईपीएस अधिकारी मनमोहन सिंह पुलिस विशेष पर्यवेक्षक हैं। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में सामान्य विशेष पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राम मोहन मिश्रा हैं और पुलिस विशेष पर्यवेक्षक पूर्व आईपीएस दीपक मिश्रा हैं जो कभी दिल्ली पुलिस में थे।

पूर्व आईएएस अधिकारी योगेन्द्र त्रिपाठी और सेवानिवृत्त आईपीएस रजनीकांत मिश्रा को ओडिशा के लिए क्रमशः सामान्य विशेष पर्यवेक्षक और पुलिस विशेष पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है। पश्चिम बंगाल में सामान्य विशेष पर्यवेक्षक पूर्व आईएएस आलोक सिन्हा हैं और पुलिस विशेष पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त आईपीएस अनिल कुमार शर्मा हैं।

वहीं, पांच राज्यों के लिए विशेष व्यय पर्यवेक्षक उत्तर प्रदेश में राजेश टुटेजा, ओडिशा में हिमालिनी कश्यप, कर्नाटक में बी मुरली कुमार, आंध्र प्रदेश में नीना निगम और तमिलनाडु में बी आर बालाकृष्णन हैं. सभी भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी हैं।

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